रूप

प्रेम का कोई रूप नही होता,
जब किसी की अनुभूति स्वयं से अच्छी लगे,
 तो समझो ये प्रेम है।
ये अनुभूति जब रूह में बस जाए,
तो समझो ये प्रेम है।
किसी के ख्याल से होंठो में मुस्कान आ जाये,
तो समझो ये प्रेम है।
सुबह की पहली सोच में जो आये,
तो समझो ये प्रेम है।
हर आहट में उसकी आहत सी लगे
तो समझो ये प्रेम है।


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