सुनो ना कुछ कहना है

सुनो ना कुछ कहना है 
मै किसी को बहुत प्रेम की,बहुत चाहा बेइंतहा
  एहसास से भरा ऐसा रिश्ता,
जो दुनिया मे सिर्फ किसी एक से जुड़ता है, 
ये मेरा मानना है
और ये रिश्ता तुमसे जुड़ा है
 सिर्फ तुम्ही से जुड़ा है, सिर्फ तुमसे,कभी न सोची थी ना ही कुछ खबर थी,
मुझे नहीं पता था क्या होता है प्रेम ,तुमसे मिली और तुझमे खो गयी मैं,खो दिया ख़ुद को तुझमे
क्या इसको ही प्रेम कहते है,
फिर भी मैं लिखती रहती हूं, अपने एहसासों को
 मुझे नही पता है, बस तुम्हे सोचने से ही,
कैसे इतने एहसास जन्म लेते हैं,
वो एहसास मेरा, तेरा रूह बनकर, मेरे पास आना,
 प्रेम की गहराई को, ओर गहरा कर दिया,
लगता है मुझे कुछ ऐसा,
पूरी दुनिया भर का प्रेम,
अपने शब्दों में समेट कर,
किसी दिन लिख दूँगी,
कोई कहानी ,
जो सिर्फ तुम पर आधारित होगा,
मेरा प्रेम कोई दिखावा नहीं,ना ही कोई उलझन है
मेरा प्रेम ना मुख का न पेन का मोहताज़ है,
आत्मा का प्रेम है आत्मा से
मेरा प्रेम कोई कुछ पल का नही है,अनंत तक रहेगा
मेरे प्रेम में ठहराव है,
मुझे मिलन ओर विरह नही लिखना है
हर परिभाषा से तुम्हे अलग ही सँजो रखी हूँ
तुम्हे पाना या खोना नही सोचती मैं
लिखना है सिर्फ तुमको,तुम आये ज़िंदगी मे,
बहुत कुछ सीख गई हुँ,अपनी दिल की हर बातों
पन्नो पर लिखना सीख गई मैं,
हर बात में ना नही, कैसे बोलते हैं वो तुमसे सीख रही हुँ, अपनी जज़्बातों को कैसे
छुपाया जाता वो सीख गई मैं
मेरा प्रेम ये ब्रह्मांड की तरह है
जो हमेशा है हमेशा ही रहेगी,मेरी इस दिल मे मेरे इस रूह में तुम थे तुम्ही रहोगे 
सुनो तुम न भी समझे,
 मैंने महसूस किया है, वही काफी है 
 और तुमसे ही प्यार किया
 



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