पत्थर
नही.अच्छा लगता तेरे बिन,काश हम मिले न होते ये कैसा प्यार है जहाँ इंतज़ार है दर्द है आँसू है काश हम तुमसे मिले न होते,न मिलते न तेरी यादोँ में इस तरह रातों में रोते न होते तुम तो अजूबा हो जो अपने दिल मे अपने ही प्यार को अपनी ज़जबातो को छुपा कर,नक़ली मुखोटा लगा रखे हो,काश तुम समझ पाते ,,,,,, काश तुम इस दिल को समझ पाते काश तुम इतने पत्थर दिल न होते लगता है मुझको, मेरे ही प्यार में कमी रह गयी शायद, तभी तो अब तक, पत्थर दिल इंसा को पिघला न सके हम, पत्थर के हम भी बन गए है सब दर्द हँसते हँसते सहते