khamosi
मेरी हर लम्हों में, पहरा सिर्फ तेरा
जिधर देखती हूँ, उधर तुम ही तुम हो
किया है कैसा जादू,जो मदहोश हो गयी हूँ
अपने ही रंग में, ऐसे रंग लिए हो
जिधर देखती हूँ, उधर तुम ही तुम हो
ये बेचैनी की सबब💘
को पन्नो में लिख रही हूँ💖
तुम खामोश से हो, और मैं बेचैन सी हूँ
हर दिन ये सोचती हूँ, करुँगी तुमसे बातें
तेरी खामोशियों का लेंगे हिसाब गिन गिन के
खुद खामोश रहके क्या देखना है?
🥰💖🥰💖🥰💖🥰💖🥰
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