Taarif

किन अल्फाज़ो में तारीफ़ करूँ

स्वर के उस शहजादे का

जिसकी आवाज़ में कशिश है,आँखों मे नमी है

जिसके स्वर में मिश्री की डली है

वीरानी में जो वीणा की ध्वनि है

सबके दिल को सुकून से भर दे

स्वर है जिसकी जादूभरी

तारीफ़ करूँ क्या जादूगर की

धुन जो छेड़े अपनी वो, कर देता सबको मदहोश

जब जब सुनती उसकी गीत हो जाती मैं पागल सी

जादुई बाँसुरी सी बजती तेरी आवाज़

मेरे वीरानों को महका सी जाती है
मेरे अंदर तक मेरी रूह को छू जाती है

शब्द नही है मेरे पास,दिल कहे - हम सुनते रहे और

सुनते रहे और सुनते रहे बस सुनते रहे

स्वर का झरना गिरता रहे और मैं बहती रहूँ

कितना सुकून है कितना प्यार

कहता है दिल बार बार।।

दुआ करूँ मैं उस रब से-

वो ऐसे मीठा गाता रहे

हरदम हँसता मुस्कुराता रहे

सुकून मिला मुझको अब

कुछ लफ़्ज़ों की माला

कागज़ में उतार के ।।।।

❤️💚❤️💚❤️💚

❤️

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