Gulami

जहाँ प्यार है वहाँ गुलामी नही होती,बस अपने प्यार के लिए हर कुछ करना एक आत्मसंतुष्टि होता है।
जहाँ प्यार है वहीं इंतज़ार, बेक़रारी, पागलपन भी  है।
प्यार अपने प्यार का गुलाम नही होता,दिल के हाथों मजबूर होता है,तभी वो उससे दूर नही रह पाता ,अपने प्यार से  दूरी बेक़रारी को बढ़ाती है।

कैसी कसमकश है,क्या करे कुछ समझ न आये,गर जो दूर गयी फिर तेरे लाख जतन पे भी न आऊँगी,अब तुही बता इस नशा में रहूँ या ................मन मेरा अब तू बता,जाने क्या हुआ
बिन बादल मेरे नैन क्यूं बरसे दिल मेरा बेचैन क्यूं.....

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